महंगाई दर (2021-22): केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष (2021-22) के दौरान उन्हें मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के निर्धारित दायरे में रहने की उम्मीद है और सरकार आवश्यक वस्तुओं के दाम में आने वाले उतार चढ़ाव पर लगातार नजर रखे हुए है।
रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर बनाए रखने को कहा गया है। इसके साथ ही इसमें ऊपर-नीचे दो प्रतिशत तक घट-बढ़ की गुंजाइश भी रखी गई है। वित्त मंत्री ने नयी दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मंत्री समूह खाद्य तेल, दाल, फल एवं सब्जियों जैसी आवश्यक वसतुओं के दाम में आने वाले उतार- चढ़ाव पर लगातार नजर रखे हुए हैं।
निर्मला सीतारमण ने इस बात को लेकर राज्यों की सराहना भी की कि वह जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सक्रिय होकर काम कर रहे हैं और उनका काफी सहयोगात्मक रुख रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों के साथ यह उम्मीद है कि मुद्रास्फीति अनुकूल रहेगी और तय लक्ष्य के दायरे में बनी रहेगी।सीतारमण ने आने वाले महीनों के दौरान राजस्व प्राप्ति भी बेहतर रहने का भरोसा जताया है।
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उन्होंने कहा कि पिछले कुछ माह के दौरान वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) और प्रत्यक्ष कर दोनों ही में सुधार आया है। उन्होंने कहा कि इस साल जीएसटी प्राप्ति में काफी सुधार हुआ है जिसके परिणामस्वरूप ऐसी संभावना है कि सरकार राज्यों को मुआवजा दे सकेगी।
एक प्रश्न के उत्तर में , वित्तमंत्री ने कहा कि 2022 के बाद भी राज्य को जीएसटी संग्रह में हुये नुकसान की भरपाई के मुद्दे पर जीएसटी परिषद फैसला करेगी।
अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ने के बारे में उन्होंने कहा कि बाजार में धन की उपलब्धता अच्छी बनी हुई है और आगामी त्योहारी मौसम में ऋण वृद्धि बढ़ने की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने कहा कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों से अगले सपताह मुलाकात करेंगी और सरकार द्वारा घोषित विभिन्न योजनाओं के मामले में हुई प्रगति की समीक्षा करेंगी।
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अफगानिस्तान में भारत के निवेश के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई भी टिप्पणी करना उनके लिये जल्दबाजी होगी।
वाणिज्य एव उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की टाटा समूह और अन्य उद्योगपतियों की आलोचना पर निर्मला सीतारमन ने कहा कि ‘उन्होंने छोटे व्यापारियों और व्यवसायियों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की।’
इसके पीछे उद्योगों से छोटे उद्योगों की मदद चाहने की स्पष्ट मंशा ही थी।
अंग्रेजी समाचार पत्र द हिंदू के अनुसार पीयूष गोयल ने उद्योग संगठन सीआईआई के एक सत्र में कहा था कि भारतीय उद्योगों का कामकाज राष्ट्रीय हित के खिलाफ जाता है।
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