लोकसभा चुनाव 2019: भाजपा के स्पष्ट बहुमत से दूर रह जाने की संभावना को देखते हुये विपक्षी दलों ने मिली-जुली सरकार बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
तेलुगुदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने 21 को दिल्ली में बैठक बुलायी जिसे अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली क्योंकि अखिलेश और मायावती जैसे नेता चुनाव परिणाम से पहले नहीं मिलना चाहते थे।
नायडू के बाद अब सोनिया गांधी ने पहल अपने हाथ में ले ली है। यूपीए अध्यक्षा ने चुनाव के दिन ही विपक्षी दलों की अहम बैठक बुलायी है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ और कपिल सिब्बल पहले ही मान चुके हैं कि उनकी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा।
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लेकिन कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि वह विपक्षी दलों में सबसे बड़ी पार्टी बनेगी और भाजपा के बहुमत से पिछड़ने पर नयी सरकार बनाने के लिये उसे पहल करनी चाहिये।
इसके लिये सोनिया गांधी ने जिन्हें 10 साल तक सफल गठबंधन चलाने का अनुभव है कांग्रेस की तरफ से पहल की है।
सोनिया गांधी के सहयोगी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के मुखिया नवीन पटनायक के संपर्क में हैं। गैर यूपीए दलों में ये दो दल ऐसे हैं जिन पर कांग्रेस की निगाहें टिकी हैं ।
विपक्षी दल किसी भी कीमत में दिल्ली में एक गैर भाजपा सरकार बनाने का मौका नहीं खोना चाहते हैं इसके लिये भले ही उन्हें किसी से भी हाथ मिलाना पड़े।
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कांग्रेस अपने मुख्य सहयोगी दलों डीएमके और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस को औपचारिक पत्र लिख चुकी है।
अन्य सहयोगी दलों को भी अपने संपर्कों का प्रयोग करने को कहा गया है ताकि एक गैर-भाजपा सरकार का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।
चंद्रबाबू नायडू की 21 तारीख की बैठक को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली जबकि उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती से भी संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें सकारात्मक उत्तर नहीं मिला।
लेकिन माना जा रहा है कि सोनिया गांधी की 23 तारीख की बैठक में बड़ी संख्या में विपक्षी दल शामिल होंगे।
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